याद तो मैंने तुम्हे खूब किया
सुबह शाम हर पल भी लिया,
दिल की इस उम्मीद में कि शायद एकदिन हम फिर साथ होंगे,
मगर उन हालातों ने सिखा दिया है कुछ ऐसा,
कि अब जी भी नहीं करता है कि सब हो जाए वैसे का वैसा,
खैर आँसू पोछ, नए सफर का इरादा किया पक्का,
उन गम के बादलों को सुर्ख आँखों से दिया धक्का,
ज़िंदगी में नयी किरण की लौ को जलाया,
खुशियों का जहाँ मैंने अकेले ही फिर से बसाया,
अब मुस्कुराता हूँ, जीता हूँ मैं,
ज़िंदगी को नए नज़रिये से सीखता हूँ मैं।
हँसके सोचता हूँ यदि तुम्हारा ज़िंदगी से जाना लिखा ही न हुआ होता
तो मूर्ख मैं अपने पाँव पे आज खड़ा ही न हुआ होता!
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